फ्यूचर एनर्जी सेक्शन में उन लो-कार्बन तकनीकों को दर्शाया गया है, जो आज ऊर्जा उत्पादन और उपयोग के तरीकों
को नए सिरे से गढ़ रही हैं। इसके साथ ही, इसमें इतिहास की कुछ दुर्लभ वस्तुएँ भी हैं, जो दर्शाती हैं कि
दुनिया धीरे-धीरे फॉसिल फ्यूल्स से दूर कैसे जा रही है। विज़िटर्स यहाँ 1897 में लंदन की सड़कों पर चलने
वाली पहली इलेक्ट्रिक टैक्सी- बर्सी कैब और 1882 में लंदन में स्थापित दुनिया के पहले सार्वजनिक बिजली
नेटवर्क के लिए बनाए गए केबल्स देख सकते हैं, जिसने हमारे जीवन का रूप बदल दिया। इसके अलावा, यहाँ एक 5 मीटर
ऊँचा पैराबोलिक सोलर ट्रफ मिरर भी है, जिसका उपयोग बड़े सोलर फार्म्स में सूरज की रोशनी को केंद्रित कर
बिजली बनाने में किया जाता है। वहीं, 2016 में ऑर्कनी के पास इस्तेमाल किया गया 7 मीटर लंबा टाइडल टर्बाइन
ब्लेड भी प्रदर्शित है, जिसने लगभग एक हज़ार घरों को बिजली देने लायक ऊर्जा उत्पन्न की थी। पहली बार यहाँ
ज़ीरो एनर्जी थर्मोन्यूक्लियर असेंबली का विशाल क्वाड्रंट भी प्रदर्शित किया गया है। यह 1950 के दशक के अंत
में ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा किया गया न्यूक्लियर फ्यूज़न प्रयोग था, जिन्होंने ऐसी दुनिया की कल्पना की
थी, जहाँ ऊर्जा की कोई कमी न हो। इसके साथ ही, विज़िटर्स रॉल्स-रॉयस एसएमआर द्वारा बनाए गए स्मॉल मॉड्यूलर
न्यूक्लियर रिएक्टर का मॉडल भी देख सकते हैं, जो भविष्य में हमारे घरों को ऊर्जा प्रदान कर सकता है। इसके
बगल में यूके के न्यूक्लियर वेस्ट स्टोरेज के लिए इस्तेमाल किया गया एक वास्तविक (लेकिन गैर-रेडियोधर्मी)
कंटेनर भी प्रदर्शित किया गया है।
'आवर फ्यूचर' नामक इस सेक्शन में बच्चों की रचनात्मक सोच झलकती है, जहाँ वे अपने विचार साझा करते हैं कि आने
वाले समय में दुनिया अपनी ऊर्जा जरूरतों को कैसे पूरा करेगी। इनके साथ विशेषज्ञों के जवाब भी प्रदर्शित किए
गए हैं, जिससे विज़िटर्स भविष्य की संभावनाओं को बेहतर समझ सकें। यहाँ एक डीकार्बनाइजेशन ट्रैकर भी लगाया गया
है, जो हर साल अपडेट होता है और बताता है कि यूके अपनी कम-कार्बन यात्रा में कितनी प्रगति कर रहा है।