देश में घरेलू निवेश बढ़ाकर, आयात को कम कर, उपभोक्ता की खपत को बनाए रखते हुए, भारत एक ग्लोबल पेट्रोकेमिकल हब बनने की राह पर है| रासायनिक बिक्री की ग्लोबल रैंकिंग में भारत छठे स्थान पर है और अगले 15 वर्षों में पेट्रोकेमिकल उत्पादों की मांग बढ़ने का अनुमान है। भारत के पेट्रोकेमिकल क्षेत्र की कीमत लगभग 18 हज़ार करोड़ डॉलर (2023 के अनुसार) है| भारत का आर्थिक विकास, इसकी मज़बूत बुनियाद (मैक्रो फ़न्डामेंटल्स) और जनसंख्या वृद्धि जैसे कारक देश में पेट्रोकेमिकल उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेंगे |
मुंद्रा, गुजरात में कंपनी एक पेट्रोकेमिकल क्लस्टर बना रही है| इस क्लस्टर के अंतर्गत, कंपनी 20 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष क्षमता वाले PVC प्रोजेक्ट को अलग-अलग चरणों में शुरू करेगी | 10 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष क्षमता वाले पहले चरण को दिसंबर 2026 तक शुरू करने की तैयारी है|