भारत जल्द ही एक वैश्विक पेट्रोकेमिकल हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, क्योंकि देश में बढ़ते निवेश और लगातार मजबूत खपत से इंपोर्ट पर निर्भरता कम होगी। भारत वर्तमान में केमिकल बिक्री के मामले में दुनिया में छठे स्थान पर है और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की मांग अगले 15 वर्षों में 8% की वार्षिक औसत दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है। वर्ष 2023 में भारत का पेट्रोकेमिकल सेक्टर लगभग 180 अरब अमेरिकी डॉलर का था, जिससे यह वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर आता है।
भारत की स्थिर आर्थिक वृद्धि, मजबूत बुनियादी आर्थिक स्थिति और जनसंख्या में निरंतर वृद्धि जैसे कारक देश की पेट्रोकेमिकल निर्माण की महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। इस क्षेत्र में बढ़ते उत्साह का कारण है कि भारत में पर कैपिटा कंजम्पशन (प्रति व्यक्ति पेट्रोकेमिकल खपत) विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे मांग बढ़ाने और निवेश के लिए बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। भारत वैश्विक स्तर पर बढ़ती पेट्रोकेमिकल मांग में 10% का योगदान देने के लिए तैयार है और वर्तमान में 4% वैश्विक क्षमता से तेजी से आगे बढ़ते हुए मजबूत वृद्धि की ओर अग्रसर है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के अनुसार, भारत 2030 तक वैश्विक तेल मांग वृद्धि का एक-तिहाई और 2050 तक लगभग आधा हिस्सा अकेले पूरा करेगा, जो ट्रक, विमानन और शिपिंग जैसे क्षेत्रों को भी पीछे छोड़ देगा।
अदाणी मुंद्रा, गुजरात में एक पेट्रोकेमिकल क्लस्टर विकसित करने की प्रक्रिया में है। इस क्लस्टर के तहत कंपनी एक पीवीसी प्रोजेक्ट स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन (एमएमटी) प्रति वर्ष होगी। यह परियोजना चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण की क्षमता 10 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष (1 एमएमटी) होगी, जिसे दिसंबर 2026 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।